Thursday, March 10, 2011

नई सुबह

एक नई सुबह
सूरज की पीली किरणें 
रौशन सारा जहाँ 

पर मन में अँधेरे

छनी हुई धुप
पलकों पे प्रलेप
यौवन का दिन एक और
विस्मृत होने को तैयार 



पक्षियों का कलरव 
पड़ोस में शोर
पर उसकी अंतर्ध्वनि मूक
या फिर अंतरात्मा वधिर

सुबह नयी,
दिन पुराना
जग भी वैसा
वह भी पहले जैसा !

No comments: