भीगी हवा में तैरते
कुछ लम्हें तन्हाई के,
मेरे यादों के संदूक में
उत्साहपूर्वक झांककर,
मुझे आज फिर से
विवश कर दिया
तुम्हें नई तरह से
कुछ लम्हें तन्हाई के,
मेरे यादों के संदूक में
उत्साहपूर्वक झांककर,
मुझे आज फिर से
विवश कर दिया
तुम्हें नई तरह से
तलाशने को !
No comments:
Post a Comment