मेरे चंचल मन, उत्कंठ ह्रदय
बोले मुझसे, चल तोड़ दें लय
इस श्रृंखलित जीवन का .
कष्टों से समझौता क्यों ?
क्यों करते हो आनाकानी,
आखिर किस बात का है तुम्हें भय?
बोले मुझसे, चल तोड़ दें लय
इस श्रृंखलित जीवन का .
कष्टों से समझौता क्यों ?
क्यों करते हो आनाकानी,
आखिर किस बात का है तुम्हें भय?
चलो तोड़ दें आज लय!
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